इसके पार ही तो अनन्त होता है...👍
Friday, October 29, 2010
इरादों में उड़ान होती है
कभी महक की तरह , हम गुलों से उड़ते हैं,
कभी धुएँ की तरह , पर्वतों से उड़ते हैं ,
ये कैचियाँ हमें उड़ने से ख़ाक रोकेंगी ,
कि हम परों से नहीं , हौसलों से उड़ते हैं !!
1 comment:
Parimal Bajpai
August 27, 2011 at 10:32 AM
bahut achhe!
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bahut achhe!
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