Sunday, February 7, 2010

आज़ादी किस काम की ???

आज़ादी किस काम की ???

वही यातना वही ग़ुलामी,
आज़ादी किस काम की !
तुम्हें चाहिए सत्ता केवल ,
देशभक्ति बस नाम की !

उड़ा तिरंगा जश्न मनाओ ,
लाल किले पर बात बनाओ ,
डगमग कभी ना हो सिंहासन ,
तरह -तरह के खेल दिखाओ ,
खुदीराम की , भगत सिंह की क़ुरबानी बदनाम की ,
तुम्हें चाहिए सत्ता केवल ,
देशभक्ति बस नाम की !

एक तुम्ही पर थी जो आशा ,
टूटी पग -पग मिली हताशा !
सत्ता पाते बदल गया स्वर ,
रौंद रहे जन की अभिलाषा !
जमे इन्द्र सा सिंहासन पर ,
चिंता कब परिणाम की ?
तुम्हें चाहिए सत्ता केवल....


मालामाल हुए व्यापारी ,
साथ -साथ मंत्री अधिकारी !
लूटतंत्र (महंगाई ) का मुख सुरसा सा ,
ग्रास बनी जनता दुखियारी !
तुने सारी सुख सुविधाएं
धनी वर्ग के नाम की ,
तुम्हें चाहिए सत्ता केवल ,
देशभक्ति बस नाम की !

चौतरफा दुःख दर्द उदासी ,
भूखे मरे लगा कर फंसी ,
भूख मिटी ना भय भी टुटा ,
ख़ुशी मिली ना कभी जरा सी ,
रंग -महल में कैसे पहुंचे ?
चीखें दुःख कुहराम की ,
तुम्हें चाहिए सत्ता केवल ,
देशभक्ति बस नाम की !

लपट उड़ेगी आर्तनाद की
तयारी है शंखनाद की
जनता अब आगे आएगी ,
चिता जलेगी व्यक्तिवाद की ,
भूल गयी वह मंदिर मस्जिद ,
रोटी है बस काम की
तुम्हें चाहिए सत्ता केवल ,
देशभक्ति बस नाम की !