Monday, August 22, 2011

आदमी भी क्या अनोखा जीव है


रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद,
आदमी भी क्या अनोखा जीव है ।
उलझनें अपनी बनाकर आप ही फँसता,
और फिर बेचैन हो जगता, न सोता है ।
जानता है तू कि मैं कितना पुराना हूँ?
मैं चुका हूँ देख मनु को जनमते-मरते ।
और लाखों बार तुझ-से पागलों को भी
चाँदनी में बैठ स्वप्नों पर सही करते।
आदमी का स्वप्न? है वह बुलबुला जल का
आज उठता और कल फिर फूट जाता है ।
किन्तु, फिर भी धन्य ठहरा आदमी ही तो
बुलबुलों से खेलता, कविता बनाता है ।
मैं न बोला किन्तु मेरी रागिनी बोली,
देख फिर से चाँद! मुझको जानता है तू?
स्वप्न मेरे बुलबुले हैं? है यही पानी,
आग को भी क्या नहीं पहचानता है तू?
मैं न वह जो स्वप्न पर केवल सही करते,
आग में उसको गला लोहा बनाता हूँ ।
और उस पर नींव रखता हूँ नये घर की,
इस तरह दीवार फौलादी उठाता हूँ ।
मनु नहीं, मनु-पुत्र है यह सामने, जिसकी
कल्पना की जीभ में भी धार होती है ।
वाण ही होते विचारों के नहीं केवल,
स्वप्न के भी हाथ में तलवार होती है।
स्वर्ग के सम्राट को जाकर खबर कर दे
रोज ही आकाश चढ़ते जा रहे हैं वे ।
रोकिये, जैसे बने इन स्वप्नवालों को,
स्वर्ग की ही ओर बढ़ते आ रहे हैं वे।

Wednesday, August 17, 2011

वेदना जनता क्यूँ सहती है ???

बोल दिल्ली , तू तो रानी बन गयी ,
वेदना जनता क्यूँ सहती है ,
सबके भाग्य दबा रखे हैं ,
तुने अपने कर में ,
उतरी थी जो विभा स्वर्ग से, 
हुई वन्दिनी किस घर में ???

Saturday, August 6, 2011

दोस्ती फ़र्ज़ है उम्र भर निभाने का


दोस्ती  नाम  है  सुख -दुःख  के  अफ़साने  का .

यह  राज़  है  सदा  मुस्कुराने  का .

यह  पल  दो  पल  की  रिश्तेदारी  नहीं .

यह  तो  फ़र्ज़  है  उम्र  भर  निभाने  का 



ज़िन्दगी   में  आकर  कभी  ना  वापस  जाने  का .

नजाने  क्यों  एक  अजीब  सी  डोर  में बन्ध जाने  का .

इसमें  होती  नहीं  हैं  शर्तें .

यह  तो  नाम  है  खुद  एक  शर्त  में  बन्ध  जाने  का .


यह  तो  फ़र्ज़  है  उम्र  भर  निभाने  का 



दोस्ती  दर्द  नहीं  रोने  रुलाने  का .

यह  तो  अरमान  है  एक  ख़ुशी  के  आशियाने  का .

इसे  काँटा  ना   समझना  कोई .

यह  तो  फूल  है  ज़िन्दगी  की  राहों  को  महकाने  का .

यह  तो  फ़र्ज़  है  उम्र  भर  निभाने  का 


दोस्ती  नाम  है  दोस्तों  में  खुशिया  बिखेर    जाने  का .

आँखों   के  आंसुओं  को  नूर  में  बदल  जाने  का .

यह  तो  अपनी  ही  तकदीर  में  लिखी  होती  है .

धीरे -धीरे  खुद  अफसाना  बन  जाती  है  ज़माने  का .

                                         यह  तो  फ़र्ज़  है  उम्र  भर  निभाने  का


दोस्ती  नाम  है  कुछ  खोकर  भी  सब  कुछ  पाने  का .

खुद  रोकर  भी  अपने  दोस्त  को  हँसाने  का .

इसमें  प्यार  भी  है  और  तकरार  भी .

दोस्ती  तो   नाम  है  उस  तकरार  में  भी  अपने  यार  को  मनाने  का .

यह  तो  फ़र्ज़  है  उम्र  भर  निभाने  का

                                       

यह  तो  फ़र्ज़  है  उम्र  भर  निभाने  का !!!


Friday, August 5, 2011

The Lady I Adore


I sat quite lonely,weeping for solace...
She came with alacrity,a soothing embrace..
she wiped my tears and sang jovial songs..
And I thought shez singer, To God she belongs..

I sat quite baffled, holding my brush and paint...
She came with a grace,refined yet so quaint....
she took my hand in her's and made me draw..
and I thought shez an artist, a beauty so raw...

I sat quite grim, strings in my hand...
she came with an aura,holding magic wand...
She sat beside me, thought me guitar....
and I thought shez virtuoso, A shining star...

I sat quite sombre, In dark disdain....
she came witha spark, relieving my pain....
She looked with innocence, chuckled my cheek...
And I thought shez a child, divine..cute and meek...

I sat quite tempted, Desires deep down,,,
She came with a gaze, sensuality around...
Her intoxicating aroma , Enticed every pore....
And I thought shez a lady, The lady I adore..