Monday, July 19, 2010

OUR FAREWELL (DPS BOKARO)

DPS Bokaro-2k6 Farewell

Dedicated to all who r in love

The things
you did, the
things you had
said, the promises
you made, it will never
be the same.When I’m with
you I’m living, when I’m not I’m
just existing until, I have you in my
life again. I loved you and thought
you loved me as well, but I knew
it could not be true. because
in the end you were every
thing i  ever wanted
and i had never
wanted to face
my fears in
losing you.

I Love you..

AISIRI-10th vtu youth fest

जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।

जीवन अस्थिर अनजाने ही, हो जाता पथ पर मेल कहीं,
सीमित पग डग, लम्बी मंज़िल, तय कर लेना कुछ खेल नहीं।
दाएँ-बाएँ सुख-दुख चलते, सम्मुख चलता पथ का प्रसाद –
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।

साँसों पर अवलम्बित काया, जब चलते-चलते चूर हुई,
दो स्नेह-शब्द मिल गये, मिली नव स्फूर्ति, थकावट दूर हुई।
पथ के पहचाने छूट गये, पर साथ-साथ चल रही याद –
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।

जो साथ न मेरा दे पाये, उनसे कब सूनी हुई डगर?
मैं भी न चलूँ यदि तो क्या, राही मर लेकिन राह अमर।
इस पथ पर वे ही चलते हैं, जो चलने का पा गये स्वाद –
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।

कैसे चल पाता यदि न मिला होता मुझको आकुल अंतर?
कैसे चल पाता यदि मिलते, चिर-तृप्ति अमरता-पूर्ण प्रहर!
आभारी हूँ मैं उन सबका, दे गये व्यथा का जो प्रसाद –
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।

Monday, July 12, 2010

मै भाव सूची उन भावों की, जो बिके सदा ही बिन तोले


मै भाव सूची उन भावों की, जो बिके सदा ही बिन तोले,
तन्हाई हूँ हर उस खत की, जो पढ़ा गया है बिन बोले
हर आँसू को हर पत्थर तक, पहुँचाने की लाचार हूक,
मैं सहज अर्थ उन शब्दों का जो सुने गये हैं बिन बोले।

जो कभी नही बरसा खुल कर हर उस बादल का पानी,
लवकुश की पीर बिना बाँची, सीता की राम कहानी हूँ। 

जिनके सपनो के ताजमहल, बनने के पहले टूट गये,
जिन हाथों में दो हाथ कभी आने के पहले टूट गये,
धरती पर उनके खोने और पाने की अजब कहानी है,
किस्मत की देवी मान गये, पर प्रणय देवता रूठ गये,
मैं मैली चादर वाले उस कबिरा की अमृतवाणी हूँ

कुछ कहते हैं मैं तीखा हूँ, अपने ज़ख्मो को खुद पीकर,
कुछ कहते हैं मैं हँसता हूँ अंदर अंदर आँसू पीकर
कुछ कहते हैं मैं हूँ विरोध से उपजी एक खुद्दार विजय,
कुछ कहते हैं मै रचता हूँ खुद में मर कर खुद में जी कर
लेकिन मैं हर चतुराई की सोची समझी नादानी हूँ।
मै भाव सूची उन भावों की, जो बिके सदा ही बिन तोले....


Thursday, July 8, 2010

ज़िन्दगी, ये अपनी भी सँवर जाएगी !


" तेरी  बेवफाई  को  उस  वफ़ा  के  साथ  निभाएंगे,  
कि  तेरी  आँखों   से  भी  आंसू  निकल  जायेंगे ,
ये  वादा  है  हमारा  की  हम  तुझे   उस  मोड़  तक  लायेंगे,  
जहा  हम   अपना  दर्द  तेरी  आँखों  से  छलकाके  दिखायेंगे !!! "

तराशेंगे  इसे  सजायेंगे  किसी  मूरत  की  तरह  ,
कभी  तो  ज़िन्दगी, ये  अपनी  भी  सँवर  जाएगी  !

हमने  तो  कभी  किसी  का  भी  बुरा  नहीं  किया ,
कभी  तो  आदत  हमारी  भी , ख़ुदा को  रास  आएगी   !

नहीं  मांगी  कभी  मोहलत  हमने  वफ़ा  को  निभाने  की , 
कभी  तो  बेवफा  भी , हमसे  वफ़ा  कर  जाएगी  !

नहीं  की  हमने  कभी  दुआ  कहीं  किसी  को  पाने  की,  
कभी  तो  मौत  आकर  हमें  गले  अपने  लगाएगी !

है  नासूर  अगर  ये  जखम  तो  हम  भी  बने  पत्थर  ,
कभी  तो  जान  में  हमारी  किसी  की  जान  आएगी  !

तड़पता  हूँ   मैं  मिलने  को  मगर  मैं  मिल  नहीं  सकता , 
कि  एक  दिन  ये  खुदाई  खुद  मुझे  उससे  मिलाएगी !

मैं  हूँ  अजनबी  “सौरभ ” कहीं  भटकता  ही  रहता  हूँ  ,
कभी  तो  मंजिल  मेरी  भी  कहीं  मुकाम  पायेगी  !