Thursday, March 31, 2011

गाँव के दुल्हन की तरह

जब चले जायेंगे लौट के सावन की तरह ,
याद आयेंगे प्रथम प्यार के चुम्बन की तरह !!
और ज़िक्र जिस दम भी छिड़ा उनकी गली में मेरा ,
जाने क्यों शर्माए वो गाँव के दुल्हन की तरह ???

Tuesday, March 29, 2011

क्या उदासी खुबसूरत नही होती है???

कि जब विदाई में एक दुल्हन रोती है,


जब बिन बरखा-दिन में धुप खोती है,


जब शाम अंधेरे में सोती है,


तब, क्या उदासी खुबसूरत नही होती है????

Sunday, March 6, 2011

उस राह के मुसाफिर थे बहुत


मैं  जिस  राह   पे  खड़ी थी ,
उस  राह   के  मुसाफिर  थे  बहुत !

मैंने  समझा  था  मैं  तनहा  रह  लुंगी ,
पर   मेरी  किस्मत  में  कांटे   थे  बहुत !

मैं  चलती  रही  पैर  थकते  रहे ,
मैंने   चुने  रस्ते  ऐसे  थे  बहुत !

जिन तकलीफों   ने   दामन दुखों  से  भर  दिया ,
आज उन तकलीफों  के साथ हैं हम वाबस्ता बहुत !

आओ किसी दिन देखो मुझे टूट के बिखर गयी हूँ ,
किये थे वादे जिसने साथ निभाने के बहुत !

तुम बिन ना कुछ हूँ ना रहुँगी,
आज भी तुम बिन हूँ मैं  अधुरी बहुत !!!