Friday, October 29, 2010

इरादों में उड़ान होती है

कभी महक की तरह , हम गुलों से उड़ते हैं,
कभी धुएँ की तरह  , पर्वतों से उड़ते हैं ,
ये कैचियाँ हमें उड़ने से ख़ाक रोकेंगी ,
कि हम परों से नहीं , हौसलों से उड़ते हैं !!

मोहब्बत

मोहब्बत के सफर पर चले वाले रही सुनो, मोहब्बत तो हमेशा जज्बातों से की जाती है, महज़ शादी ही, मोहब्बत का साहिल नहीं, मंजिल तो इससे भी दूर, बहुत दूर जाती है ।
जिन निगाहों में मुकाम- इश्क शादी है उन निगाहों में फ़कत हवस बदन की है, ऐसे ही लोग मोहब्बत को दाग़ करते हैं क्योंकि इनको तलाश एक गुदाज़ तन की है ।
जिस मोहब्बत से हजारों आँखें झुक जायें , उस मोहब्बत के सादिक होने में शक है जिस मोहब्बत से कोई परिवार उजड़े तो प्यार नहीं दोस्त लपलपाती वर्क है ।
मेरे लफ्जों में, मोहब्बत वो चिराग है जिसकी किरणों से ज़माना रोशन होता है जिसकी लौ दुनिया को राहत देती है न की जिससे दुखी घर, नशेमन होता है ।
मेरे दोस्त ! जिस मोहब्बत से पशेमान होना पड़े मैं उसे हरगिज़ मोहब्बत कह नहीं सकता नज़र जिसकी वजह से मिल न सके ज़माने से मैं ऐसी मोहब्बत को सादिक कह नहीं सकता ।
मैं भी मोहब्बत के खिलाफ नहीं हूँ मैं भी मोहब्बत को खुदा मानता हूँ फर्क इतना है की मैं इसे मर्ज़ नहीं ज़िन्दगी सँवारने की दवा मानता हूँ ।
साफ हरफों में मोहब्बत उस आईने का नाम है जो हकीकत जीवन की हँस कर कबूल करवाता है आदमी जिसका तस्सव्वुर कर भी नहीं सकता मोहब्बत के फेर में वो कर गुज़र जाता है ।

Wednesday, October 27, 2010

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती..

लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती

हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती।


नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है,

चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है,

मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,

चढ़कर गिरना,गिरकर चढ़ना न अखरता है,

आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती ,

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।


डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा-जाकर खाली हाथ लौट आता है,
मिलते न सहेज के मोती पानी में,
बहता दूना उत्साह इसी हैरानी में,
मुठ्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती।

असफलता एक चुनौती है स्वीकार करो,
क्या कमी रह गयी,देखो और सुधार करो,
जब तक न सफल हो नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम,
कुछ किये बिना ही जय-जयकार नहीं होती,
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती...!

Sunday, October 17, 2010

रुह-ओ-जान हो गया है

हमे वो मिला था युँ ही दोस्त बन के ,
घडी दो घडी में ये क्या हो गया है ,
कदम दो कदम साथ उसके चला तो ,
लगा रास्ता खुद मन्ज़िल हो गया है ,
भटकता रहा था युँ ही बेवजह मैं ,
मुझे क्या खबर, मेरा भी आशियांन हो गया है ,
कोई तो है जिसका मैं हो गया हूँ
कोई तो है जो बस मेरा हो गया है
ना अफसोस कोई ना कोई शिकायत ,
ना जख्मो की चिन्ता , ना कोई बगावत
ना उलझन कोई ना कोई है तुफान
तस्ववर में बनती है तस्वीर कोई
ख्यालों में भी बस नजर आये वो ही
था दिल की धडकन अब रुह-ओ-जान हो गया है
हर एक लम्हें जो साथ उसके बिताये
हर पल में हमको वो है याद आये
वो लम्हें थे रोशन या था नूर उसका
थे दो वो समन्दर या थे नैन उसके
युँ ही हमने उसको कहा जिन्दगी था
वो कहते ही कहते खुदा हो गया है