मान लिया वो ही जो दर्पन कहता है
वर्ना अपना चेहरा किसने देखा है
चार मुलाक़ातों में ऐसा लगता है
जैसे तुमसे सौ जन्मों का नाता है
होड़ लगी है सबसे आगे रहने की
बच्चों पर ये बोझ ज़रा कुछ ज़्यादा है
देखो तो दौलत ही सुख है,सब कुछ है
सोचो तो ये सब नज़रों का धोखा है
सबकी अपनी-अपनी अलग लड़ाई है
साथ नहीं कोई, हर शख्स अकेला है