Saturday, October 6, 2012

एक और बरस गुज़र गया...


 तेरे पास आते आते , तेरी बाँहों में समाते ,
तेरी गेशुओ के साये में खुद ही उलझ जाते,
की तुम जो रूठती थी तो हम तुम्हे मानते,
अब वक़्त आ गया है , तुम खुद ही मान जाते!

तेरी ख़ामोश पलकें , पलकों के तराने ,
तेरी आँखों की मस्तियाँ, वो रंगीन नज़राने ,
कि  जब से देखा उनको हो गए तेरे दीवाने ,
अब वक़्त आ गया है ,लिखूं उन पर फ़साने ,

तेरी चाहतों के दिए, दिल में जलते रहे हमेशा,
दिखाई तुने मुझको जीवन की सही दिशा ,
उलझी हुई ज़िन्दगी को दी तुने परिभाषा ,
अब वक़्त आ गया है , उकेरूँ  तेरा नक्शा !

तेरी बहूँ के दरमियाँ , खुशियों को चूमते हम,
तेरी आँखों में अपने प्यारे सपनों को बुनते हम,
हर सीपियों को खोलते, मोती को ढूंढ़ते हम,
अब वक़्त आ गया है , मंजिल को बढ़ते हम ...

एक और बरस गुज़र गया ......