मैं हिन्दु भी हूँ, और मुसलमान भी हूँ,
पर सबसे पहले एक इंसान भी हूँ !
मुझे वस्ता है तो सिर्फ इंसानियत का,
इन मज़हबी दंगों से मैं परेशान भी हूँ !!
भाईचारे की जगह , जब आँखों में नफरत का जुनून दिखता है,
मुझे दर्द होता है जब इंसान का खून बहता है!
मेरी कोशिश है तो बस शान्ति फैलाने की,
मुझे तो मानव सेवा में ही सुकून मिलता है !!
मैं चुनाव में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेता हूँ,
पर धर्म के नाम पर होने वाली राजनीति से दूर रहता हूँ!
मेरी कोशिश, केसरिया और हरे को सफ़ेद से जोड़ने की है,
मैं चक्र की तरह सदैव प्रगतिशील रहता हूँ!!
मैं हिन्दु भी हूँ, और मुसलमान भी हूँ...
bahut khoob kaviji.
ReplyDeleteachchi gajal hai
ReplyDeleteGud one Saurabh bhai...
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