इसके पार ही तो अनन्त होता है...👍
Thursday, September 30, 2010
तुम
इस शाम की ,
उदासी चीर कर ,
चाहता हूँ पहुँचना,
मैं तुम तक !
तुम एक ,
जिसके ना होने से ,
हो जाती है बेजान,
पूरी ज़िन्दगी ,
ठहर जाता है ,
सब कुछ ,
और छा जाती है,
एक ऐसी चुप्पी ,
पूरे घर आँगन में ,
जिसे तोड़ सकती हो,
केवल " तुम "!!!
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment