Sunday, April 17, 2011

हम ज़िन्दगी का गीत गाते रहे

कभी हँसी को ख़ुशी का पैमाना बनाया ,
तो कभी ख़ामोशी से ग़म को छुपाते रहे !

कुछ दर्द बाहर तो आये मगर ,
कुछ को सीने में दबाते रहे !

छलकते अगर आँसु तो  ग़म धुल जाते ,
सो अश्कों से ही प्यास को बुझाते रहे !

जिसके जितना ही पास गए ,
सिर्फ वही हमसे दूर जाते रहे !

कुछ फरिश्तों ने बाहर से चोट पहुँचायी,
तो कुछ अन्दर ही अन्दर दिल दुखाते  रहे !

फिर भी हम हँसते रहे , मुस्कुराते रहे ,
और ज़िन्दगी का गीत गाते रहे !

हम ज़िन्दगी का गीत गाते रहे !!!


Sunday, April 10, 2011

समंदर हूँ

मैं भीड़ में घिरा तनहाइयों का समंदर हूँ ,
मैं उस शुतुरमुर्ग की तरह रेत के अन्दर हूँ  ............