Tuesday, November 2, 2010
Friday, October 29, 2010
इरादों में उड़ान होती है
कभी महक की तरह , हम गुलों से उड़ते हैं,
कभी धुएँ की तरह , पर्वतों से उड़ते हैं ,
ये कैचियाँ हमें उड़ने से ख़ाक रोकेंगी ,
कि हम परों से नहीं , हौसलों से उड़ते हैं !!
कभी धुएँ की तरह , पर्वतों से उड़ते हैं ,
ये कैचियाँ हमें उड़ने से ख़ाक रोकेंगी ,
कि हम परों से नहीं , हौसलों से उड़ते हैं !!
मोहब्बत
मोहब्बत के सफर पर चले वाले रही सुनो, मोहब्बत तो हमेशा जज्बातों से की जाती है, महज़ शादी ही, मोहब्बत का साहिल नहीं, मंजिल तो इससे भी दूर, बहुत दूर जाती है ।
जिन निगाहों में मुकाम- इश्क शादी है उन निगाहों में फ़कत हवस बदन की है, ऐसे ही लोग मोहब्बत को दाग़ करते हैं क्योंकि इनको तलाश एक गुदाज़ तन की है ।
जिस मोहब्बत से हजारों आँखें झुक जायें , उस मोहब्बत के सादिक होने में शक है जिस मोहब्बत से कोई परिवार उजड़े तो प्यार नहीं दोस्त लपलपाती वर्क है ।
मेरे लफ्जों में, मोहब्बत वो चिराग है जिसकी किरणों से ज़माना रोशन होता है जिसकी लौ दुनिया को राहत देती है न की जिससे दुखी घर, नशेमन होता है ।
मेरे दोस्त ! जिस मोहब्बत से पशेमान होना पड़े मैं उसे हरगिज़ मोहब्बत कह नहीं सकता नज़र जिसकी वजह से मिल न सके ज़माने से मैं ऐसी मोहब्बत को सादिक कह नहीं सकता ।
मैं भी मोहब्बत के खिलाफ नहीं हूँ मैं भी मोहब्बत को खुदा मानता हूँ फर्क इतना है की मैं इसे मर्ज़ नहीं ज़िन्दगी सँवारने की दवा मानता हूँ ।
साफ हरफों में मोहब्बत उस आईने का नाम है जो हकीकत जीवन की हँस कर कबूल करवाता है आदमी जिसका तस्सव्वुर कर भी नहीं सकता मोहब्बत के फेर में वो कर गुज़र जाता है ।
जिन निगाहों में मुकाम- इश्क शादी है उन निगाहों में फ़कत हवस बदन की है, ऐसे ही लोग मोहब्बत को दाग़ करते हैं क्योंकि इनको तलाश एक गुदाज़ तन की है ।
जिस मोहब्बत से हजारों आँखें झुक जायें , उस मोहब्बत के सादिक होने में शक है जिस मोहब्बत से कोई परिवार उजड़े तो प्यार नहीं दोस्त लपलपाती वर्क है ।
मेरे लफ्जों में, मोहब्बत वो चिराग है जिसकी किरणों से ज़माना रोशन होता है जिसकी लौ दुनिया को राहत देती है न की जिससे दुखी घर, नशेमन होता है ।
मेरे दोस्त ! जिस मोहब्बत से पशेमान होना पड़े मैं उसे हरगिज़ मोहब्बत कह नहीं सकता नज़र जिसकी वजह से मिल न सके ज़माने से मैं ऐसी मोहब्बत को सादिक कह नहीं सकता ।
मैं भी मोहब्बत के खिलाफ नहीं हूँ मैं भी मोहब्बत को खुदा मानता हूँ फर्क इतना है की मैं इसे मर्ज़ नहीं ज़िन्दगी सँवारने की दवा मानता हूँ ।
साफ हरफों में मोहब्बत उस आईने का नाम है जो हकीकत जीवन की हँस कर कबूल करवाता है आदमी जिसका तस्सव्वुर कर भी नहीं सकता मोहब्बत के फेर में वो कर गुज़र जाता है ।
Wednesday, October 27, 2010
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती..
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती।
नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है,
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना,गिरकर चढ़ना न अखरता है,
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती ,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।
मिलते न सहेज के मोती पानी में,
बहता दूना उत्साह इसी हैरानी में,
मुठ्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती।
असफलता एक चुनौती है स्वीकार करो,
क्या कमी रह गयी,देखो और सुधार करो,
जब तक न सफल हो नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम,
कुछ किये बिना ही जय-जयकार नहीं होती,
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती...!
Sunday, October 17, 2010
रुह-ओ-जान हो गया है
हमे वो मिला था युँ ही दोस्त बन के ,
घडी दो घडी में ये क्या हो गया है ,
कदम दो कदम साथ उसके चला तो ,
लगा रास्ता खुद मन्ज़िल हो गया है ,
भटकता रहा था युँ ही बेवजह मैं ,
मुझे क्या खबर, मेरा भी आशियांन हो गया है ,
कोई तो है जिसका मैं हो गया हूँ
कोई तो है जो बस मेरा हो गया है
ना अफसोस कोई ना कोई शिकायत ,
ना जख्मो की चिन्ता , ना कोई बगावत
ना उलझन कोई ना कोई है तुफान
तस्ववर में बनती है तस्वीर कोई
ख्यालों में भी बस नजर आये वो ही
था दिल की धडकन अब रुह-ओ-जान हो गया है
हर एक लम्हें जो साथ उसके बिताये
हर पल में हमको वो है याद आये
वो लम्हें थे रोशन या था नूर उसका
थे दो वो समन्दर या थे नैन उसके
युँ ही हमने उसको कहा जिन्दगी था
वो कहते ही कहते खुदा हो गया है
घडी दो घडी में ये क्या हो गया है ,
कदम दो कदम साथ उसके चला तो ,
लगा रास्ता खुद मन्ज़िल हो गया है ,
भटकता रहा था युँ ही बेवजह मैं ,
मुझे क्या खबर, मेरा भी आशियांन हो गया है ,
कोई तो है जिसका मैं हो गया हूँ
कोई तो है जो बस मेरा हो गया है
ना अफसोस कोई ना कोई शिकायत ,
ना जख्मो की चिन्ता , ना कोई बगावत
ना उलझन कोई ना कोई है तुफान
तस्ववर में बनती है तस्वीर कोई
ख्यालों में भी बस नजर आये वो ही
था दिल की धडकन अब रुह-ओ-जान हो गया है
हर एक लम्हें जो साथ उसके बिताये
हर पल में हमको वो है याद आये
वो लम्हें थे रोशन या था नूर उसका
थे दो वो समन्दर या थे नैन उसके
युँ ही हमने उसको कहा जिन्दगी था
वो कहते ही कहते खुदा हो गया है
Thursday, September 30, 2010
My Aphrodite
why you left thy celestial abode?
was there a divine plan ,
to make you tread ,
on these mortal grounds.
are you a reward for a platter full of good deeds,
or a punishment ,
for an evil hitherto undone,
in an embodiment currently unknown.
blessed as I am ,
thy Midas touch turned my heart in gold,
but alas,
it turned you to stone.
promiscuity was thy bane,
rescinded that in your earthly embodiment,
for you my Aphrodite ,
are the epitome of faith.
words seem so trivial,
only if its you,
for they lack ,
to feel the Aphrodite in you.
Love was but a word,
You taught me its meaning,
twinkle of your eyes ,
brings shine in my life,
your love,
gives meaning to infinite,
they say it gives meaning to life,
I say its elixir of life.
twin rose petals,
entwined in full bloom,
laced with nectar,
got to taste them once and never felt honey sweet again.
her breaths ,
melts me like a candle in flame ,
like a moth you desire,
to give your tribute in life.
cascading black river,
eyebrows like scimitars,
her face, a pearl in moonlight,
and they say moon is beautiful!!!!!!
black beady eyes ,
with that ethereal shine,
splurging with love,
one loving look...get's you tippled for life.
that twisted lip line,
a streak of lightening across the skies,
incisive enough to cut to your core,
makes you yearn for more.
dewdrops falling down her locks,
placid, calm, yet so intoxicating,
you can turn aside the chalice,
for a few drops falling down her self .
her voice ,
fresh as the verdant meadows,
like the tinkle of the bells,
will force you into reverence.
that coy push of her elbows,
turns your world upside down,
you start swirling,
in a sea of ecstasy.
my heart danced with joy,
as she melted in my arms,
just a touch of her,
completed my jigsaw of love.
God must have toiled,
to get that marble skin,
on that perfect bone line,
to create another Aphrodite,
splendid yet so plain.
green must have been the eyes,
of nymphs and angels alike,
didn't they sigh in relief ?
when god repented, but had to send her on earth.
my heart beat in unison,
with her beats once,
My arms yearn to hold her tight again,
for my heart resents to beat like that again.
You are my angel,
my Venus,
my Aphrodite,
You are my world.
तुम
इस शाम की ,
उदासी चीर कर ,
चाहता हूँ पहुँचना,
मैं तुम तक !
तुम एक ,
जिसके ना होने से ,
हो जाती है बेजान,
पूरी ज़िन्दगी ,
ठहर जाता है ,
सब कुछ ,
और छा जाती है,
एक ऐसी चुप्पी ,
पूरे घर आँगन में ,
जिसे तोड़ सकती हो,
केवल " तुम "!!!
Saturday, August 21, 2010
हर शख्स अकेला है
मान लिया वो ही जो दर्पन कहता है
वर्ना अपना चेहरा किसने देखा है
चार मुलाक़ातों में ऐसा लगता है
जैसे तुमसे सौ जन्मों का नाता है
होड़ लगी है सबसे आगे रहने की
बच्चों पर ये बोझ ज़रा कुछ ज़्यादा है
देखो तो दौलत ही सुख है,सब कुछ है
सोचो तो ये सब नज़रों का धोखा है
सबकी अपनी-अपनी अलग लड़ाई है
साथ नहीं कोई, हर शख्स अकेला है
वर्ना अपना चेहरा किसने देखा है
चार मुलाक़ातों में ऐसा लगता है
जैसे तुमसे सौ जन्मों का नाता है
होड़ लगी है सबसे आगे रहने की
बच्चों पर ये बोझ ज़रा कुछ ज़्यादा है
देखो तो दौलत ही सुख है,सब कुछ है
सोचो तो ये सब नज़रों का धोखा है
सबकी अपनी-अपनी अलग लड़ाई है
साथ नहीं कोई, हर शख्स अकेला है
Monday, July 19, 2010
Dedicated to all who r in love
The things
you did, the
things you had
said, the promises
you made, it will never
be the same.When I’m with
you I’m living, when I’m not I’m
just existing until, I have you in my
life again. I loved you and thought
you loved me as well, but I knew
it could not be true. because
in the end you were every
thing i ever wanted
and i had never
wanted to face
my fears in
losing you.
I Love you..
you did, the
things you had
said, the promises
you made, it will never
be the same.When I’m with
you I’m living, when I’m not I’m
just existing until, I have you in my
life again. I loved you and thought
you loved me as well, but I knew
it could not be true. because
in the end you were every
thing i ever wanted
and i had never
wanted to face
my fears in
losing you.
I Love you..
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।
जीवन अस्थिर अनजाने ही, हो जाता पथ पर मेल कहीं,
सीमित पग डग, लम्बी मंज़िल, तय कर लेना कुछ खेल नहीं।
दाएँ-बाएँ सुख-दुख चलते, सम्मुख चलता पथ का प्रसाद –
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।
साँसों पर अवलम्बित काया, जब चलते-चलते चूर हुई,
दो स्नेह-शब्द मिल गये, मिली नव स्फूर्ति, थकावट दूर हुई।
पथ के पहचाने छूट गये, पर साथ-साथ चल रही याद –
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।
जो साथ न मेरा दे पाये, उनसे कब सूनी हुई डगर?
मैं भी न चलूँ यदि तो क्या, राही मर लेकिन राह अमर।
इस पथ पर वे ही चलते हैं, जो चलने का पा गये स्वाद –
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।
कैसे चल पाता यदि न मिला होता मुझको आकुल अंतर?
कैसे चल पाता यदि मिलते, चिर-तृप्ति अमरता-पूर्ण प्रहर!
आभारी हूँ मैं उन सबका, दे गये व्यथा का जो प्रसाद –
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।
सीमित पग डग, लम्बी मंज़िल, तय कर लेना कुछ खेल नहीं।
दाएँ-बाएँ सुख-दुख चलते, सम्मुख चलता पथ का प्रसाद –
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।
साँसों पर अवलम्बित काया, जब चलते-चलते चूर हुई,
दो स्नेह-शब्द मिल गये, मिली नव स्फूर्ति, थकावट दूर हुई।
पथ के पहचाने छूट गये, पर साथ-साथ चल रही याद –
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।
जो साथ न मेरा दे पाये, उनसे कब सूनी हुई डगर?
मैं भी न चलूँ यदि तो क्या, राही मर लेकिन राह अमर।
इस पथ पर वे ही चलते हैं, जो चलने का पा गये स्वाद –
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।
कैसे चल पाता यदि न मिला होता मुझको आकुल अंतर?
कैसे चल पाता यदि मिलते, चिर-तृप्ति अमरता-पूर्ण प्रहर!
आभारी हूँ मैं उन सबका, दे गये व्यथा का जो प्रसाद –
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।
Monday, July 12, 2010
मै भाव सूची उन भावों की, जो बिके सदा ही बिन तोले
मै भाव सूची उन भावों की, जो बिके सदा ही बिन तोले,
तन्हाई हूँ हर उस खत की, जो पढ़ा गया है बिन बोले
हर आँसू को हर पत्थर तक, पहुँचाने की लाचार हूक,
मैं सहज अर्थ उन शब्दों का जो सुने गये हैं बिन बोले।
जो कभी नही बरसा खुल कर हर उस बादल का पानी,
लवकुश की पीर बिना बाँची, सीता की राम कहानी हूँ।
जिनके सपनो के ताजमहल, बनने के पहले टूट गये,
जिन हाथों में दो हाथ कभी आने के पहले टूट गये,
धरती पर उनके खोने और पाने की अजब कहानी है,
किस्मत की देवी मान गये, पर प्रणय देवता रूठ गये,
मैं मैली चादर वाले उस कबिरा की अमृतवाणी हूँ
कुछ कहते हैं मैं तीखा हूँ, अपने ज़ख्मो को खुद पीकर,
कुछ कहते हैं मैं हँसता हूँ अंदर अंदर आँसू पीकर
कुछ कहते हैं मैं हूँ विरोध से उपजी एक खुद्दार विजय,
कुछ कहते हैं मै रचता हूँ खुद में मर कर खुद में जी कर
लेकिन मैं हर चतुराई की सोची समझी नादानी हूँ।
तन्हाई हूँ हर उस खत की, जो पढ़ा गया है बिन बोले
हर आँसू को हर पत्थर तक, पहुँचाने की लाचार हूक,
मैं सहज अर्थ उन शब्दों का जो सुने गये हैं बिन बोले।
जो कभी नही बरसा खुल कर हर उस बादल का पानी,
लवकुश की पीर बिना बाँची, सीता की राम कहानी हूँ।
जिनके सपनो के ताजमहल, बनने के पहले टूट गये,
जिन हाथों में दो हाथ कभी आने के पहले टूट गये,
धरती पर उनके खोने और पाने की अजब कहानी है,
किस्मत की देवी मान गये, पर प्रणय देवता रूठ गये,
मैं मैली चादर वाले उस कबिरा की अमृतवाणी हूँ
कुछ कहते हैं मैं तीखा हूँ, अपने ज़ख्मो को खुद पीकर,
कुछ कहते हैं मैं हँसता हूँ अंदर अंदर आँसू पीकर
कुछ कहते हैं मैं हूँ विरोध से उपजी एक खुद्दार विजय,
कुछ कहते हैं मै रचता हूँ खुद में मर कर खुद में जी कर
लेकिन मैं हर चतुराई की सोची समझी नादानी हूँ।
मै भाव सूची उन भावों की, जो बिके सदा ही बिन तोले....
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